मिथिला रंग महोत्सव, एकटा स्वप्न आ कि नाटक मे नाटक?

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    दिल्ली,मिथला मिरर- माया नन्द “विपुल झाः मिथिला रंग महोत्सव सच मानू त जरूर हमरा आ प्रकाश भैया टा नहि अपितु मैलोरंग परिवार के सभ सदस्य जे मधुबनी सन पावन धरती पर जन्म लेबाक सौभाग्य प्राप्त केने छथि तिनका लेल दिल्ली सँ मधुबनी जा क तीन दिवसीय कार्यक्रम केनाई एकटा स्वप्न छल जे पूर्ण भेल। आउ आब कनि एहि महोत्सव के पूर्व में चलि कारण अहाँ लोकनि के संपूर्ण जानकारी देनाई हमरा जरूरी बुझाईत अछि।

    आई सँ करीब 18 वर्ष पूर्व जखन सन् 1997 ईसवी में मधुबनी में जिला प्रशासन के द्वारा स्वतंत्रता के पचासम वर्षगांठ मनायैल जायत रहै तहि क्रम में गिरधारी नगर भवन. मधुबनी में सात दिनक सांस्कृतिक कार्यक्रम के सेहो आयोजन भेल रहय। अहि कार्यक्रम में मधुबनी के बहुत रास सांस्कृतिक संगठन सम्मलित भेल। हमहूँ जन.जागरण युवा समिति के दल सँ एकटा सदस्य के रूप में भाग लेने रही। अहि कार्यक्रम के बाद हमरो रंगकर्म के प्रति स्नेह भ गेल आ हम एकटा नाट्य संस्था खोजय लागलऊ एहि क्रम में मधुबनी इप्टा के बारे में जानकारी भेल और ओतय पहूँचलऊँ आ प्रकाश भैया सँ भेट भेल हुनका सानिध्य में रंगकर्म के शूरूआत केलऊँ जे काफी वर्ष तकि चलैत रहलैय। आब अहाँ सभ बुझते छिये जे मधुबनी नहि अपितु पूरा मिथिला क्षेत्र में रंगकर्म की दयनीय हालत छैय तै प्रकाश भैया हमरा सभ सँ मधुबनी स विदा लैत कहला अहाँ सभ पाछू सँ आयब हम आगू बढै छी। खैर प्रकाश भैया देश के राजधानी दिल्ली में आबि कऽ संघर्ष मय जीवन रहितो सन् 2005 में एकटा नव नाट्य संस्था के सृजन केलाह जेकर नाम अछि मैथिली लोक रंग उपाख्य “मैलोरंग”।
    तदउपरान्त हमहूँ दिल्ली एैलऊँ लेकिन रंगकर्म मे पुनः नहि सक्रिय भ सकलऊँ परन्तु रंगमंच के सौरमंडल सँ मरलऊँ नहि समय .समय पर “मैलोरंग” द्वारा होयत नाटक आ पूर्वाभ्यास में सक्रिय रहलऊँ आ रहैत छी। आई स करीब एक.डेढ़ साल पहिले प्रकाश भैया के संगे बैसल रही राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, दिल्ली में अचानक हम प्रकाश भैया के कहलियैन जे “भैया एक बेर मधुबनी चलि क नाटक करितऊ ताहि पर कहला जे केना हेतेई हम कहलियैन जे सभ हेतै खाली आहाँ मोन बनाबियौ ने। त कहला ठीक छै देखै छीयै। तदउपरान्त शेक्सपीयर के लिखल प्रसिद्ध नाटक “रोमियो.जूलियट” के मैथिली मे नाट्य.सह.भाव रूपांतरण प्रकाश भैया के द्वारा पूर्ण भेल जकर पहिल मंचन 15 दिसंबर 2014 क श्रीराम सेंटर, नई दिल्ली में कायल गेल ओहि मंच सँ ईहो उद्घोषणा प्रकाश भैया के द्वारा कैल गेल जे हम सब बहुत जल्द मधुबनी जायब और ओतय तीन दिवसीय महोत्सव के आयोजन करब। ई सूनि मोन प्रफूल्लित भ गेल। कारण आब भरिसक ओ दिन नजदीक आबि गेल जे हम सभ मधुबनी जा क जत स नाटक के अ आ सिखलऊँ आतोय के लोक.वेद के राष्ट्रीय स्तर के नाटक देखाब के मौका प्राप्त हैत। सच पूछू त मोन तिरपीत भ गेल।
    एकर बाद प्रकाश भैया कहलाह जे केना हेतै खैर हुनका हम कहलियैन जे सभ किछु हेतै रूकु हम किछु लोक स दूरभाष पर बात करै छी आब मधुबनी के वतावरण भरिसक रंगकर्म के लेल सकारात्मक भ गेल हमरा जनैत मददि केनिहार लोक के आभाव नहि रहतैय। कहलाह ठीक छै प्रयास करू आओर हमहूँ प्रयाश में लागि गेलहूँ सभ शनि आ रवि दिन क किछु बाबू भैया के जे आई काल्हि मधुबनी के राजनिति धरातल पर अपना आप के सक्रिय कहै छैथ तिनका सभ के आग्रह केनाई शूरू केलयनि संगहि मधुबनी के व्यापारी लोकनि के सेहो जिनका सँ पूर्व परिचय छल। सभ गोटे आश्वासन देलाह जे ठीक छै सभटा हैत चिन्ता नय करू मोन खुश भ गेल जे अपन मातृभूमि सँ सहो आब नाटक लेल लोक सभ सहयोग करताह। प्रकाश भैया के सभ बात स अवगत कराबैत रहलियन।
    मधुबनी जयबाक लेल आब तैयारी शूरू भ गेल पूर्वाभ्यास के लेल सभ सदस्य सूचना देल गेल आर पूर्वाभ्यास प्रारंभ भ गेल। समय नजदीक एलैक प्रकाश भैया कहलाह जे नगर भवन के केना सुरक्षित कैल जायत। हम स्थानीय किछु लोक के संपंर्क कएलियैन परन्तु ओ सभ मधुबनी के मिठगर बोली दैत हाँ नय हँ नय में काफी समय ल लेला आ नगर भवन सुरक्षित नहि करा सकला। तदउपरान्त नगर भवन सुरक्षित कराब के वास्ते श्री दीपक कुमार ”यात्री“ के ई सभ कार्य के जिम्मेदारी देल गेल और नगर भवन के सुरक्षित कयल गेल दिनांक 01 मई 2015 सँ 03 मई 2015 तकि, नगर भवन के मिथिला रंग महोत्सव के लेल जिला प्रशासन के द्वारा स्वीकृति के अनुमति देल गेल।
    ईम्हर दिल्ली पूरा दल के लेल रेलवे आरक्षण सेहो  करा लेल गेल आव्र मधुबनी जयबाक दिन निश्चित भेल 28 अप्रैल 2015 क गरीब रथ सँ मुदा सभ टा सीट पक्का नहि भ सकल अधिकांश सीट वेटिंग छल खैर पक्का भ जयैते से विश्वास रहा। भाई श्री दीपक कुमार ”यात्री“ मधुबनी मे रहि करीब दू महिना पहिने सँ कार्यक्रम के रूप रेखा बुनैय लागला मधुबनी के सभ बुद्धजीवी, विद्वान, राजनेता के संगहि व्यापारी वर्ग सँ सेहो संर्पक केलाह। हमहूँ दिल्ली सँ दूरभाष पर मधुबनी के गणमान्य व्यक्ति सभ के संपर्क में लगातार रहलऊ। एहि बीच श्रद्धेय श्री महेन्द्र मलंगिया व श्री प्रकाश भैया मधुबनी पहुँचि क प्रेस .वात्र्ता कयैलाह आ मधुबनी के जन.मानस के महोत्सव के जानकारी देलखिन अहू प्रेस.वात्र्ता मे मधुबनी के किछु गणमान्य के खबर देल गैलनि लेकिन ओ सभ नागा केलाह।
    खैर ई सभ प्रकरण संगे होईत रहलैय आ कार्यक्रम के दिन नजदीक आबि गैल। हम सभ निश्चित तिथि यानि 28 अप्रैल 2015 क विदा भेलऊ मात्र 12टा सीट पक्का भेल हम सभ गरीब रथ के धक्का.मुक्की खायत कष्ट सहैत लेकिन मोन आनन्दित रहय जे मातृभूमि के लेल इ कष्ट आनन्द दैय रहल अछि महिला वर्ग के सीट द हम सभ हास्य विनोद करैत 29 अप्रैल 2015 क मधुबनी पहुचलऊँ। मधुबनी स्टेशन पर श्री जटाधर जी निवत्र्तमान प्रमुख रहिका प्रखंड, श्री श्याम मिश्र, श्री महेन्द्र लाल कर्ण, श्री शैलेष जी एंव श्री संजय जी के द्वारा फूल माला के संग मैलोरंग परिवार के स्वागत कयल गेल। सच मानू त लागल जे आब अपन वसुन्धरा पर पहूँचि गेलेऊँ।
    सभ गोटे के लेल स्थानीय होटल युवराज मे विश्राम सह भोजन के व्यवस्था पूर्व निर्घारित रहय आर हम सभ ओतय पहुँचलहुँ। पूरा मैलोरंग परिवार के लेल भोजन बनाबैय लेल भाई दीपक ”यात्री“ दू गोर भनसिया के व्यवस्था केने रहैथ जे दूनू समय बढ रूचिगर भोजन बनाबैय। हम सभ भोजन कय किछु समय आराम क क नाटक स्थल के देखय लेल पहुँचलहूँ। ओकर बाद स्थानिय सहयोगी लोकिनिक संग एकटा बैठक आयोजित भेल जाहि मे आवश्यक वस्तु सभ के बारे मे चर्चा भेल जे नाटक मे जरूरी अछि। आब हम फेर मधुबनी को सभ रंगयोद्धा के नाम श्री जटाधर जी निवत्र्तमान प्रमुख रहिका प्रखंड, श्री श्याम मिश्र, श्री महेन्द्र लाल कर्ण, श्री विकास, श्री शिवनारायण मिश्र एंव श्री संजय जी कहलाह आबि जायत आ हमरा सभ संग करीब स्थानिय बीस टा रंगकर्मी दिन राईत लागि गेलाह अहि महोत्सव रूपी यज्ञ में आहूति देब लेल। हमहूँ सभ रातिक भोजन कय विश्राम मे चलि गेलऊँ।
    अगिला दिन यानि 30 अप्रैल 2015 क हम प्रातः काल जल्दी उठि क स्थानिय लोक घरे-घरे जा क संपर्क केलयनि आ हकार के पत्र सेहो देलयनि सभ कहला जे अवश्य आयब। तदउपरान्त हम करीब 12 बजे दिन में होटल पहुँचि क प्रकाश भैया के हमरा द्वारा कयल गेल लोक-संपर्क के विवरण देलयैन। सभ गोटे गप्प करतै रहि की अचानक भाई दीपक ”यात्री“ अयलाह कहलाह जे एकटा दुखःद समाचार अछि हम सभ पुछलियैन कि यौ त ओ एकटा पत्र पकरबैत कहलाह जे ई जिलाधिकारी के द्वारा पठाओल मैथिल कार्यक्रम नाम ई प्रेम पत्र अछि। भाई मुकेश ओहि पत्र के पढलाह पत्र सुनतै मानू जेना शरीर पर बज्र खसि पडल हुआ तहिना लागल कारण ओहि पत्र मे नगर भवन जे तीन दिन के लेल महोत्सव के लेल सुरक्षित छल तकरा अगिला आदेश तकि निरस्त कय देल गेल आर कारण देल गेल जे 24 अप्रैल 2015 के आयल भूकंप के कारण नगर भवन के देवाल मे दरार आबि गेल अछि। आब सभ गोटे चिन्तित भ गेलऊँ जे आब कि हैत। तखने पता चलल जे दिनांक 26 अप्रैल 2015 क सेहो नगर भवन मे भोजपूरी कार्यक्रम भेल तथा 27 अप्रैल 2015 जानकी उत्सव सह भजन संध्या के आयोजन त भेल रहय।
    खैर हमरा सभके अहि कार्यक्रम स कुनो आपत्ति नहि छल मुदा कि मिथिला मे मैथिली कार्यक्रम लेल नगर भवन नहि भेटा ताहि बात सँ बड मोन तमसायल तकर बाद मिथिला के सभ जन प्रतिनिधी सँ दूरभाष पर संपर्क साधलौं सभ कियो कहलाह हम दरभंगा मे बैठक मे छी बैठक खतम होईते जिलाधिकारी स संपर्क क अहाँ सभ के बतबै छी किया कहलाह हम दिल्ली हवाई अड्डा पर छी चारि बजे पटना पहुँचि के अहाँ सभ के जिलाधिकारी स बात क अवगत करबै छी आ किछु जनप्रतिनिधी दूरभाष पर गप्प कर योग्य नहि हमरा सभ के बुझला आ दूरभाष नहि उठेलाह।
    एकटा आओर उपर्युक्त स्थान छल टाॅउन क्लब मैदान लेकिन ओ प्रायः कुनो राजनीतिक दल के कार्यक्रम लेल पहिने सँ सुरक्षित छल। तैयो हम सभ हियाऊ नहि हारलहुँ श्री महेंद्र भाई आ श्री जटाधर भाई कहलाह चलू महिला काॅलेज ओकर प्रांगण देखैय छी हम सभ श्रद्धेय श्री मलंगिया सर के संग लैत ओई रौद मे विदा भेलौऊँ आ महिला काॅलेज पहुँलऊ आ सभ गोटे प्रांगण के मुआयना केलहुँ आ हमर सभहक तकनिकी निदेशक श्री श्याम साहनी जे राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय सँ स्नातक छथि से कहला जे स्थान उपयुक्त अछि तकर बाद ओहि ठाम के प्रधानध्यापक के संग एक टा बैसार भेल ओ कहला जे प्रांगण देनाई हमरा अधिकार क्षेत्र स बाहर अछि प्रांगण देबाक अधिकार कुलपति के छन्हि तेंय अहाँ सभ दरभंगा जा क हुनका आवेदन दियोन हम अग्रसारित कय दय छी हमरा सभके आशा नै पूर्ण विश्वास छल जे कुलपति कार्यक्रम के लेल प्रांगण जरूर देता।
    समय काफी तेजी निकैल रहल छल पूर्व निर्धारित प्रेस-वात्र्ता भेल आ हम सभ प्रेस सँ कहलियैन जे हम कार्यक्रम जरूर करब आ संभवतः आब ई कार्यक्रम स्थानीय महिला काॅलेज के प्रांगण मे होयत आओर जिला प्रशासन के मैथिली कार्यक्रम के प्रति उदासीनता के प्रति आक्रोश व्यक्त कैल गेल। तकर बाद इहो विचार भेल जे स्थानिय वाट्सन विद्यालय के प्रांगण सेहो देखल जाय सभ गाटे फटफटिया पर चढि के वाट्सन विद्यालय विद्यालय पहुँचलऊ निराशा फेर सद्यः ठाड रहैय पूरा प्रांगन मे वर्षा के पानि मानू जेना विधाता सेहो तमसायल रहैत। तखन श्री श्याम मिश्रा, श्री महेंद्र लाल कर्ण, श्री शैलेष जी एंव श्री जटाधर जी दरभंगा के लेल विदा भेला। सांझ भ गेल हम सब पुनः यथास्थान आबि क नाटकक पूर्वाभ्यास प्रारंभ केलऊ मुदा ध्यान त दरिभंगा पर रहैय जे कि भेल आ कि हैत। तखन मुकेश जी कहलाह जे अगर मधुबनी में स्थान नहि भेल त बेनीपट्टी मे जाक करब तैंय ओतऊ लेल ध्यान केन्द्रित केने रहू। ततक्षण पिताजी के दूरभाष पर कहलियैन जे बेनीपट्टी उच्च विद्यालय के प्रांगण केना तीन दिन के लेल उपलब्ध हैत ताहि पर ओ कहलाह एखन त प्रधानाध्यापक स ऐते राति क संवाद त नहि भ पायत लेकिन भोर मे हुनका सँ गप्प क लेब संभवतः स्थान उपलब्ध भ जेतह लेकिन कार्यक्रम अगर मधुबनी मे हेतेह त ओ बढिया बात। इम्हर कुलपति महोदय दरभंगा मे नहि रहैत कुनो महाविद्यालय के भ्रमण मे निकलल रहैत। दरभंगा मे गेल गणमान्य सभ करीब राति के नौ बजे तकि हुनकर आवास पर रूकल रहति माननीय कुलपति के कर्मचारी कहलखिन जे हम हुनका आधुनिक तकनिक व्हाट्सप के माध्यम स अहाँ सभ के प्रयोजन के बारे सूचित क देलयनि हैं आब अहाँ सभ जाउ प्रातःकाल सूचना प्राप्त भयत मुदा हुनका सभगोटे के ओतय के कर्मचारी के भाव.भंगिमा स आभास भ गेलन्हि जे नहि भ सकत। सभ गोटे ओतय सँ निराश भ क वापस पुनः मधुबनी आबि गेलाह।
    समय अपन नियति गति स चलयमान छल राति के करीब ग्यारह बजे सभ गोटे बैसल रहि तखने युवराज होटल के स्वामी श्री प्रदीप भाई कहलाह जे अगर कार्यक्रम कुनो प्रांगण मे करबाक अछि त कियैक नई टाउन क्लब मैदान मे उत्तर दिश सँ अपन मंच बनाक करी कारण जे राजनीतिक दल के कार्यक्रम परसू यानि दिनांक 02 मई 2015 क दिन मे हेतैन्हि। आब सच मानू त मोन व्यथित भ गेल रहय हुए जे भोकासि पारि क कानि मुदा हम सभ हिम्मत नई हारलहुँ आ हम प्रकाश के कहलियैन जे आब एैते करबै चाहे अहि लेल किछु भ जाय। आब बात उठल मंच केना बनत मुकेश जी कहलाह रूकु ओ ततक्षण अपन गाम बरहा दूरभाष पर संपर्क कय कहलाह जे काल्हि भोर स भोर मंच बनैयबाक समान संग लोक पहुँचि जयताह एमहर बेगुसराय स नाटक मे उपयोग होबय बला प्रकाश सामाग्री ल क भाई अजित निकलि गेल रहैत कारण मधुबनी में नाटकक प्रकाश सामाग्री उपलब्ध नहि अछि। आब हम सभ मोन मारि लेने रही जे टाउन क्लब मैदाने महोत्सव करब। सभ गोटे तकर बाद रूचिगर भोजन कय विश्राम मे चलि गेलहूँ।
    प्रातःकाल प्रकाश सामग्री ल क भाई अजित सेहो बेगूसराय सँ पहुँचि गेलाह इम्हर बरहा स मंच बनबैय लेल कारीगर सभ तकर बाद द्रुत गति सँ कार्य आगू चलय लागल। नगर भवन एंव महिला काॅलेज के द्वार पर कार्यक्रम के स्थान परिवर्तन के सूचना सेहो साटि देल गेल। अपने सभ कलाकार आ स्थानीय सहयोगी सभ मिलक बाँस के खूँटा गाडय स लक पर्दा तकि लगैलऊँ। दर्शक वृन्द के बसय लैल कुर्सी लगेनाई स ल क हुनकर सुरक्षा तकि के जिम्मेदारी। आब किछु टेन्ट के समान के आवश्यकता बुझायल लेकिन टेन्ट मालिक मना क देलक जे हम तीन सौ कुर्सी के अलावा किछु नय द सकब कारण अझुका लगन बड तेज छय सभ समान हमर पहिलैय स सट्टा पर चलि गेल अछि। खैर हम सभ कहुना क जोगार तकनिक स सभटा व्यवस्था केलहूँ।
    कार्यक्रम के उद्द्घाटन करय बला व्यक्ति सेहो आब सँ असर्मथता जता क नहि आयब तकर सूचना देला स्थानीय विधायक सेहो असर्मथता जतैयला। खैर मंच बनय के कार्य करीब पाँच बजे मे समाप्त भेल तकर बाद पर्दा एंव प्रकाश सामग्री के यथावत लागबके कार्य प्रारंभ भेल ई सभ होईत-होईत सांझ के सात बाजैय बला छल दर्शक-दीर्घा सभ के मैदान मे पहूँचनाय शूरू भ गेल आब भेल जे कार्यक्रम के उद्द्घाटन के करताह ताहि पर निर्णय भेल जे रंगयोद्धा हमरा सभ संगे दिन राति एक कैय क संग छथि वैह सभ उद्द्घाटन करताह सभ गोटे एक सुर मे कहला जय जय हे नटराज।
    पहिल दिन यानि दिनांक 01 मई 2015 के कार्यक्रम के विधिवत उद्द्घाटन भेल श्रद्धेय श्री महेंद्र मलंगिया, श्री महेंद्र लाल कर्ण, श्री श्याम मिश्र, श्री जटाधर पासवान एंव श्री मृत्युन्जय झा के द्वारा। श्रद्धेय श्री महेंद्र मलंगिया कहलाह जे ”देश के प्रधानमंत्री अगर कुनो देश के यात्रा पर जाई छथि त ओहि ठामक वाद्दयंत्र बजबैत छथि कारण जे संबंध मजबूत बनबैय मे संस्कृति आ संस्कृतिक कर्मी एकटा सेतु के रूप में काज करैय अछि।” सही कहलाह मुदा विडंवना देखियौ जे हुनके दल के एगो जन प्रतिनिधि जिनका हम दूरभाष के संग-संग भेंट कय क हकार देने रहयैन ओ मैदान के एक कोन में बैसल रहलाह मुदा मंच के नजदीक नय अयलाह कियैक? कि ओ रंगकर्म आ संस्कृतिकर्म के निकृष्ट बुझै छथि आ कि ओ अपना आप सांस्कृतिक नहि बुझैय छथि एहि पर विचार भेनाई जरूरी अछि। खैर चलू अपने सभ आगू बढि, आजुक नाटक छल बिहार के बाढि के विभिषिका पर, जातिगत अवधारणा पर रामेश्वर प्रेम लिखित नाटक “जल डमरू बाजैय” नाटक के सभ पात्र अपन चरित्र के जीवन्त केलाह। नाटक के मंचल सफल रहल। सभ दर्शक कहला जे कैय दिन करबैय हम सब सभ दिन आयब अते सुन्दर नाटक केनिहार सभ के नय देखने छलऊँ तेहेन सुन्दर नाटक के विषय वस्तु छल मोन गदगद भ गेल विभिन्न तरहक प्रतिक्रिया आ शाबाशी सुनि क पुरा मैलोरंग परिवार गदगद रही। चलू सफलता के शूरूआत भ गेल।
    बिहार रंगकर्म के हालत पर एकटा बड पैघ प्रोडक्सन हाउस डाक्यूमेंट्री के दृश्यांकन क रहल अछि हुनको सभहक पाँच आदमी के दल हमर सभहक सभ गतिविधि क शूट क रहल छल चाहे हम सभ बात करै छी वा मंच के खूँटा गाडि रहल छी। हुनकर दल के एगो सदस्य कहलाह जे श्रीमान् अहाँ सभ जाहि उत्साह स कार्य क रहल छी जेना कलाकार के काज अछि नाटक केनाई मुदा ओ बाँस के वल्ली बांधि रहल छैथ त कियो खंती ल क गढा खूनि रहल छथि एकरा जूनून कहबैय आकि स्थानीय जन-प्रतिनिधी आर प्रशासनिक विफलता? हम चुप भ गेलौऊ कारण ओ सभ स्थानीय नय रहैत आ हम अपन क्षेत्र के विफलता के झाँपी दी सैह नीक बुझलहूँ । आ ओ सभ पहिल बेर एहि तरहक स्थिति के दृश्यांकन क रहल छलाह। आब यैह प्रश्न हम अहाँ सभ स पूछैत छी की हमर मिथिला के रंगकर्मी एहिना सभ दिन खूंटा गाडत आ रंगकर्म के जीवन्त राखत? की मिथिला में रंगकर्म करय वास्ते अनूकूल जगह के निर्माण नय हैत? एहन स्थिति में हमर सभहक लोकरंग सल्हेश, विद्दापति, कित्र्तनियाँ, मैथिली भाषा के नाटक,  सोहर, समदाउन, झिझिया, वटगबनी, नचारी, सामा.चकेवा सभ हेरा जायत आ सभगोटे डिबिया ल क खोजतै रहब। आ अपन सभहक संस्कृति सँ जूडल सभटा चीज.वस्तु सभ विलुप्त भ जायत। तखन निर्माण हैत एकटा मिथिला संग्रहालय के जे मिथिला मे नय अवस्थित रहत कारण जे बाडी के पटुआ तीत होईत अछि। ओ रहत दिल्ली मे, ओ रहत महाराष्ट्र में वा कुनो अन्य देश में  तैं सभगाटे विचार करू जे कलाकार कलाकरी करैथ नय कि खूंटा गाडैत आ कुर्सी लगबैथ।
    आब महोत्सव के दोसर दिन यानि दिनंाक 02 मई 2015 क दू टा नाटक मंचन छल। हम सभ मंच पर विधिवत प्रकाश व्यवस्था एंव मंच सज्जा के लेल मैदान में जा क काज करैय लागलऊ। कि कहु एखन तकि त मनुक्खक देल लथाड सँ उबरल नय छलऊँ कि इनर देवता सेहो डाँग देबय लेल हहैयल- फुफयाल, ढनकैत-गरजैत आ कारी भुजंग भेल पूरा पसरि गेलाह आ तेना बरसैय लागलाह जेना अईटा बरसब काल्हि नय आ एकटा विपदा सँ फेर सामना भेल किछु समय पश्चात ओहो शांत भ गेला तकर बाद मंच के नाटकक मंचन लेल पूर्ण त नहि मुदा काफी अनुकूल बनेलऊ।
    सांझ भेल पिछला दिन सँ ज्यादा दर्शक जुमि गेलाह पुनः कार्यक्रम के विधिवत शूरूआत भेल पहिल नाटक छल श्रद्धेय श्री महेंद्र मलंगिया के लिखल “देह पर कोठी खसा दिअ” ई नाटक भारतवर्ष के न्यायप्रणाली के कठिनता के संग.संग समाजिक, आर्थिक हालत पर आईना देखबैत अछि संगहि सरकारी विफलता के सेहो उजागर करैत अछि। ई नाटक भेल दर्शक.वृन्द आन्नदित भेला। बीच मे दस मिनट के मध्यातंर भेल तकर बाद पुनः दोसर नाटक जे आधुनिक नाटक के एकटा नव विधा अछि “कहानी के रंगमंच” जेकर सृजन कएनिहार छथि श्री देवेंद्र राज अंकुर। नाटक छल स्व० श्री राजकमल चैधरी के चारि गोट कहानी क्रमशः अनलिखे पत्र, ललका पाग, कोपड़ आ वैष्णव जेकर निर्देशन स्वंय श्री अंकुर जी केने छथि आ ई नाटक के मैथिलि साहित्य में कुनो कहानी के रंगमंच मे अवतरित होबय वला पहिल स्थान पर अछि सचमुच ई मैथिलि भाषाटा के नहि अपितु पूरा मिथिला के सम्मान अछि। सभ कलाकार आ पाश्र्व सहयोगी के कठिन मेहनत पूरा रंग छोडलक समूचा दर्शक मंडल ताली बजबैत रहलाह। महोत्सवक दोसर दिनक कार्यक्रम पिछला दिन सँ ज्यादा प्रशंसा पयलक। हम सभ पुनः कार्यक्रम समाप्त कयलाके बाद नाटक मे प्रयोग कयल गेल वस्तु सभके सही स्थान पर राखि फेर अन्नदेवता के आर्शिवाद सँ रूचिगर भोजन पाबि क विश्राम में चलि गेलहुँ।
    महोत्सवक तेसर दिन यानि दिनांक 03 मई 2015 क सेहो दूटा नाटकक मंचन भेल पहिल नाटक छल महान विदेशी साहित्यकार शेक्सपियर के लिखल नाटक “रोमियो.जूलिएट” के मैथिली भाव रूपांतर “चान.चकोर” जकर रूपांतरण स्वंय मैलोरंग के निदेशक श्री प्रकाश झा के द्वारा पूर्ण कयल गेल। एकर पहिल प्रस्तुति के बारे मे प्रायः पूर्व मे हम चर्चा कयैने छी। नाटक के रूपातंरण अद्भूत अछि ई कुनो विदेशी भाषा के पहिल नाट्य रूपांतरण अछि जकर मंचन सेहो भेल। नाटक केे जे मूल आत्मा होईछै तकरा यथावत राखि क मैथिली में अनुवादित करय के काज जे श्री प्रकाश भैया केलाह अछि ओ अविश्वसनीय अछि आ हमरा ई कह में कनिकों संकोच नय भ रहल अछि जे ई काज केवल श्री प्रकाश भैया क सकैत छथि कारण नाटकक प्रति हुनकर सर्मपण अनुकरणीय अछि। नाटक शूरू भेल दर्शक लोकनिक संख्या करीब सात सौ के आसपास छल मैदान के चारू तरफक लोक जिनकर आवास मैदान के समीप छल ओ सभ अपना घर सँ कुर्सी ल क बैसय लेल आबि गेलाह कारण जे हमरा सभहक द्वारा मा़त्र तीन सौ कुर्सी के व्यवस्था छल।
    अधिकांश दर्शक.वृन्द ठारे रहलाह मुदा नाटक के संग रैम गेलाह। बीच मे फेर दस मिनट के मध्यांतर भेल आ पुनः दोसर नाटक के मंचन के शूरूआत भेल नाटक छल विजयदान देथा के राजस्थानी भाषा के दन्त.कथा पर आधारित मूल नाटक “भला.बुरा” के मैथिली नाट्य रूपांतरण “फाँस”। एकर अनुवाद कएने छथि श्री श्याम साहनी जे राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय सँ स्नातक छथि। ईहो नाटक अपन एकटा छाप छोडलक। सभ कलाकार खूब ताली के संग प्रशंसित भेला। महोत्सव के समापन के वेला आबि गेल श्रद्धेय श्री महेंद्र मलंगिया, श्री कमल मोहन “चून्नू” ,भाई जटाधर पासवान जी एंव जिला परिषद् उपाध्यक्ष श्री भरत भूषण जी के मंच पर आग्रह के संग बजायल गेल एंव श्री प्रकाश भैया द्वारा महोत्सव रूपी यज्ञ मे आहूत देबय बला लोकनिक के धन्यवाद के संग मैलोरंग के स्मृति चिन्ह श्री कमल मोहन “चून्नू” के द्वारा प्रदान करबेलैथ। श्रद्धेय श्री महेंद्र मलंगिया जी महोत्सव के समापन के घोषणा कयलाह। हम सभ पुनः विश्राम स्थल पर आबि कय दिल्ली वापसी के तैयारी लागि गेलहूँ।
    अगिला दिन बारह बाजि क चालिस मिनट पर गरीब रथ मे बैसि क वापस भय गेलऊ। हमरा सभके विदा करबा वास्ते तमाम रंगयोद्धा छी श्री जटाधर पासवान, श्री महेंद्र लाल कर्ण, श्री श्याम मिश्रा, श्री शैलष जी, श्री विकास जी मधुबनी स्टेशन तकि अयलाह। धन्य छी हे माँ मिथिला जे एहन सपूत सभ के अपना कोखि मे जन्म देलऊ।
    युवराज होटल के स्वामी श्री प्रदीप जी के विशेष आभार जे हमरा सभहक ठहरय के इंतजाम कयने रहैथ ओहि ठाम हमरा सभके कनिको नय बुझायल जे कुनो होटल मे छी जेना लागये जे अपने घर छी जखन कुनो वस्तु के आवश्यकता हुए त हुनका पुछयनि कहैथ जे देख लियौ छै त ल जाऊ चाहे मंच पर बिछाबय वला दरी होई वा कुनो समान। एकोबेर मुख पर शिकन नय देखलियैन। नतमस्तक छी हिनकर मैथिलि के प्रति समर्पण देख क। संगहि आभार प्रकट करै छी एन०सी०सी० के बालक सभ के जे तीनु दिनक महोत्सवरूपी कार्यक्रम अनुशासन आ शांति व्यवस्था बनेने रहलाह। आओर हम सभ ऋणि छी श्री जटाधर पासवान, श्री महेंद्र लाल कर्ण, श्री श्याम मिश्रा, श्री शैलष जी, श्री विकास जी, श्री शिवनारयण जी एंव रूचिगर भोजन बनेनिहार भाई प्रदीप के जिनकर अनमोल सहयोग के कारण हम सभ ई महोत्सव के पूर्ण कय पयलहुँ।
    दिल्ली पहुँचि कय पता चलल जे दिनांक 05 मई 2015 के दैनिक अखबार दैनिक जागरण मे कार्यक्रम  के बारे विस्तृत समचार छपल अछि उत्सुकतावश पढलऊ समाचार खूब नीक सँ प्रकाशित भेल मुदा समाचार के अंत मे ओहि व्यक्ति के नाम छपल देखलियैन जिनक दर्शन सौभाग्य सँ मैलोरंग के  कार्यक्रम मिथिला रंग महोत्सव के अंतराल एक्कोबेर नहि भ सकल। खैर यकायक एकटा हिन्दी के छन्द याद आबि गेलः-
    “रास्ते और उस शहर की अटखेलियाँ सब याद है।
    वो शहर मुराद की है पर कुछ लोगों ने नामुराद बना दिया।”
    आब अहीं सभ कहू जे ई कि छल मिथिला रंग महोत्सव . एकटा स्वप्न आ कि नाटक में नाटक?