मैथिलीक हास्य सम्राट हरिमोहन झा के शत्-शत् नमन

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    दिल्ली, मिथिला मिरर: कोलकाता मैथिली साहित्यिक आंदोलनीक तीर्थस्थली रहल अछि। ई आई धरि प्रमाणित होइत आबि रहल अछि। कोलकाता समेत भारतवर्षक साहित्यिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक मैथिली संस्था लोकनिक अधिकारी – पदाधिकारी जखन सुतल छलाह तखन कोलकाताक “मिथिला विकास परिषद” एक आंजुर फूल लs कs हास्य कवि सम्राट हरिमोहन झाजी कें श्रद्धांजलि अर्पित कs रहल छल।

    विदित हो जे हास्य – व्यंगक विलक्षण सम्राट, रचनाकार हरिमोहन झा जीक जन्म आइयेक दिन १८ सितम्बर, १९०८ कें सहरसा जिलान्तर्गत बाजितपुर गाम मे भेल छलन्हि। आधुनिक मैथिल साहित्यक कृति – स्तम्भ व नक्षत्र हरिमोहन झा मैथिली मे जतेक विपुल पाठकक जोगार कयने छलाह ओ पुन: दोसर साहित्य रचनाकार कें एहि प्रकारक सौभाग्य प्रात्त नञि भs सकलनि। मिथिला विकास परिषदक अध्यक्ष अशोक झा बतौलन्हि जे हरिमोहन झा दर्शन शास्त्रक निश्नात विद्वान छलाह। एतबहि नञि हुनका समय मे मुख्यत: जतेक दर्शन शास्त्रक संगोष्ठी होइत छल ओहि गोष्ठीक अध्यक्षता हरिमोहन बाबू करैत छलाह । हरिमोहन बाबू कतिपय अनेकों रचनाक संग्रह व संयोजन कयने छलाह चाहे उपन्यास हो, कथा – संग्रह हो वा निबंध – लेखन हो, सभ विधा मे समानरूपेण अधिकार रखैत छलाह। हरिमोहन झाजी लिखित “कन्यादान” एवं “द्विरागमन” उपन्यास आइयो पाठकवृन्दक मानस पटल पर नव कलेवरक सृजन करैत अछि।

    “प्रणम्य देवता” आओर “रंगशाला” नामक कथा संग्रह मे लिखल गेल उक्ति आ जुक्ति के – के बिसरि सकैत छथि ? निबंध – संग्रह – “खट्टर काकाक तरंग” पोथीक नाम सुनितहिं मैथिल पाठक कें तरंगित भेनाई स्वाभाविक अछि। एतबहिं नञि हरिमोहन बाबूक आत्मकथा “जीवन यात्रा” पोथीक पठन – पाठन सँ सहजहिं हुनक जीवनक प्रत्येक महत्वपूर्ण बिन्दू कें सहजतापूर्वक बुझल जा सकैत अछि। अपन विविध रचना – संग्रह जाहि मे “चरचरी” नामक रचना मे हरिमोहन झा जीक एक – एक शब्द विन्यासक माधुर्यता अन्य रचना मे भेटब असंभव अछि।

    हरिमोहन बाबू उपन्यासकार, कथाकार, निबंधकार एवं दर्शनशास्त्र केर निश्नात विद्वान छलाह। प्रोफेसर साहेब जखन काव्य गोष्ठी मे जाइत छलथि आओर हुनका द्वारा प्रस्तुत कविताक प्रथम पांती सँ अन्तधरि दर्शक थपड़ी बजवैत रहैत छलाह तथा हास्यक पुट एवं व्यंगक तीर सँ उपस्थित श्रोता लोट – पोट भs जाइत छलाह। हरिमोहन झा जीक काव्य पाठ क पश्चात् जखन कवि चूड़ामणि मधुपजी काव्य पाठ करबाक लेल टाढ़ होइत छलाह तखन लगैत छल जे हरिमोहन झा जीक हास्य – व्यंगक कविता हरिद्वारक “हरखी पैरी” सँ निकलल गंगाक वेग, मैथिली कविताक रूप मे प्रवाहित होइत परिलक्षित भs रहल अछि। हरिमोहन झा जीक पश्चात् मधुपजी हुनक काव्य – धारा कें प्रवाहित करैत छलाह।

    मिथिला विकास परिषद, हरिमोहन झा जीक स्मरण कs रहल अछि। ओहिक सम्पूर्ण श्रेय परिषदक महासचिव एवं वर्तमान काल मे मैथिली साहित्यक संस्मरणक बैंक अंजय चौधरी छथि आओर हमरा (अशोक झा) ई कहैत कनिको दिधा नञि होइत अछि जे भारत मे जहिना रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया अछि तहिना आधुनिक कोलकाताक मैथिल साहित्यक बैंक अंजय चौधरी छथि जे विगत् काल्हिये सँ हरिमोहन झा जीक जन्मदिन पर आयोजनक हेतु आकुल – व्याकुल छलथि एवं आई प्रात:काल साते बजे मोबाइल द्वारा जन्मदिन आयोजित करबाक आग्रह कयलनि। हमर मोबाइलक घंटी प्रात:काल जखन बाजल मोबाइलक आवाज स्वत: हमरा तत्क्षण हरिमोहन बाबूक जन्मदिन आयोजित करबाक उद्वेग कें यथार्थ रूप मे परिणत कयलक। संगहि मिथिला विकास परिषदक राष्ट्रीय प्रवक्ता राजकुमार झाजी सेहो अपन शब्द विन्यासक कलात्मक सहयोग सँ हमरा हरिमोहन बाबू सदृश मिथिलाक विभूति के शत् – शत् नमन करबाक शक्तिक सृजन करबाक हेतु उत्प्रेरित कयलक। अंतत: परिषदक सभागार मे हरिमोहन झा जीक स्मृति मे परिषदक पदाधिकारी एवं मैथिली अनुरागी लोकैन जाहि मे विनय प्रतिहस्त, गोपीकांत झा ‘मुन्ना’, राघवेन्द्र झा, पं. नंद कुमार झा, शैल झा, रूपा चौधरी, भाष्कर झा, नबोनाथ झा, अरूण झा, पवन ठाकुर आदि उपस्थित छलाह।

    राजकुमार झा (मुम्बई सं पठाओल संवाद)