बौद्धिक वर्ग सदा प्रतिपक्ष, काली कान्त झा “तृषित”

    0
    292

    सँसारक हरेक कार्यकलापक मर्यादा सहितक सीमा रेखा होइत छैक। जकरा उल्लँघन कएने अमर्यादित वा अशोभनीय कहल जाइत छैक, तथापिओ परम स्वार्थी लोक एहि सबके वेवास्ता करैत गिरगिट जकाँ रँग बदलैत अपन कुत्सित लिप्सा पूर्ति मे लागल रहैत छथि। अाइ के दिन मे एहन भजन मँडली के बड पूछ रहैत छैक, उन्नति के सीढी पर छलाँग लगएबाक हेतु एे सर्टकट के फायदा अवसरवादी लोक खूब उठबैत छथि। पत्र पत्रिका सब मे सेहो एक स एक विद्वान, साहित्यकार लोकनि के भजन मँडलीक रोल क्रम मे सहजहि देखल जा सकैछ। जेना सेवा करऽ बला सेवक, नृत्यकरऽ बला नर्तक, शिकार करऽ बला के आखेटक कहल जाइछ तहिना किछु लिखऽ बला स्वत: लेखक कहले जएतै। लेख कतेक ओजस्वी हएतै ओ त महत्वपूर्ण बात छैके। हम जे किछु लिखैत रहलहुँ ताहि सँगे इ बात हमेशा कचोटैत रहैत छल जे वर्तमान शासन के हमेशा बिरोधे मे किएक लिखाइत अछि कहीँ पूर्बाग्रही भऽ कऽ तऽ ने लिखैत छी एकर जवाब अपना नहि भेटैत छल।

    २०७३ जेठ९ गते कान्तिपुर दैनिक मे नेपाली मूलक विदेश मे अवस्थित प्रसिद्ध लेखिका मञ्जूश्री थापाक बहुत सारगर्भित दिशाबोधक एवम् निष्पक्ष इन्टरभ्यू प्रकाशन भेल छन्हि। एहि के सत्तासीन नेतृत्व बर्गक सहित आन्दोलनरत सब पक्ष के पढब अत्यन्त उपलब्धिमूलक एवम् सहमति मे पहुँचबाक हेतु मार्गदर्शक हएतन्हि,बशर्ते अपन अपन अहँकार के त्यागि लेथि। हुनक एहन सटीक कहब सब छन्हि जकरा साभार पुनरावृति करब अन्यथा नहि मानल जएबाक चाही। एहि स हमरो इ दिव्य ग्यान भ गेल जे हम पूर्वाग्रही नहि छी किएक त बौद्धिक वर्गक काज राज्यपक्ष के त्रुटि स्पष्ट कऽ देनाइ होइत छैक।अत: बौद्धिक वर्ग हमेशा प्रतिपक्षे रहैत छैक। हुनक कहब छन्हि जे राज्य पक्षक कार्य के उचित ठहरएबाक हेतु तर्क प्रस्तुत करैत लेख रचना लिखनाइ बला काज बौद्धिक वर्ग के नहि करबाक चाही, इ काज राजनीति करए बलाक हेतु छोडि देल जएबाक चाही। राज्य पक्षक सब बातके सार्थक प्रमाणित करऽ बला काज भजन मँडलीसबहक छैक बौद्धिक बर्गक नहि।

    एखन नेपाल मे जे मधेसी जनजाति पिछडल वर्ग के आन्दोलन जे चलि रहल छैक ताहि प्रसँग मे हुनक कहब छन्हि जे सत्ता पक्ष अधिकारक लेल आन्दोलनरत पक्ष स बार्ता कएनाइ छोडि कऽ तिरस्कृत कऽ रहल छैक । एतवे नहि मधेसक माँग के बिखन्डन के रूप मे लऽ रहल छैक इ सम्बिधान अन्तरिम सम्बिधान मे देल अधिकार मे सेहो कटौती क देने छैक जे सर्बथा अनुचित छैक। सत्तसीन नेतृत्व वर्ग एतेक सँघर्षक बाद लाएल परिबर्तन विरोधी सम्बिधान जारी त कएलनि दीपाबली सेहो सेहो कएलनि मुदा आब इ एहसास भ रहल छन्हि जे सम्बिधान नीक नहि बनल अछि लेकिन से स्वीकार मे लज्जाबोध भ रहल छन्हि। एखन जे राष्ट्रवादक खूब नारा लगाओल जा रहल छैक सेहो सिर्फ जनता के नियँत्रण करबाक हेतु एबम् वास्तविकता स ध्यान हटएबाक हेतु चालबाजी मात्र छैक।जे जतेक दिन इ आन्दोलन जारी रहतै ततेक सत्तापक्षक हठवादिताक चलते देशक दुर्व्यवस्था तरफ अग्रसर होइत जएतै लेकिन से दायित्वबोध नेतृत्व वर्ग के नहि जान कहिआ हएतन्हि।